अनंत चतुर्दशी की पूजा करने से 1 दिन पहले अपने घर की अच्छे से साफ़- सफाई कर ले| उपवास रखने के 1 दिन पहले अपने बाल को भी अच्छी तरह से धो ले| यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्दशी को मनाया जाता है| वैसे तो यह व्रत नदी के तट पर किया जाता है| नदी की भी पूजा कि जाती है|आज के दिन विष्णु भगवान की पूजा की जाती है| अनंत भगवान ने ही वामन अवतार में 2 पगों में तीनों लोक को नाप दिया था |14 गाठ वाला लाल धागा जिसे अनत कहते हैं| आज के दिन विष्णु भगवान के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है| सच्ची श्रद्धा और भक्ति से जो यह व्रत करते हैं उनपर भगवान विष्णु अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं| स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ लाल कपड़े पहने एक चौकी पर पीले रंग का आसन लगाएं और विष्णु नाम का जप करते रहे|
किसी भी तरह की द्वेष भावना ना रखें आज की दिन नदी की भी पूजा की जाती है वैसे तो हमारे यहां समूह में पूजन होता है, अगर आप सामूहिक पूजा ना कर पाए तो कलश में पान सुपाडी और एक हल्दी का गाठ भी डालें| जल के रूप में यमुना जी को रखें, शेषनाग के रूप में दुर्वा(दुभ) रखें, कुश से निर्मित भगवान अनंत को स्थापित करें या विष्णु जी की प्रतिमा रखें| सर्वप्रथम गौरी-गणेश की पूजन करें| गणेश जी को दूर्वा अवश्य चढ़ाएं, अनंत सूत्र को भगवान विष्णु को अर्पित करें| अब स्नान करवाएं लाल पुष्प ,गंगाजल,आम का पत्ता चढ़ाएं, रोली ,अक्षत, मौली , चंदन, कपूर,मिष्ठान , फल भोग के रूप में मालपुआ बनाकर चढ़ाएं| पंचामृत चढ़ाएं और दूध से बने पकवान भी चढ़ाएं|
कथा सुनने से पहले हाथ में अक्षत को लेकर के संकल्प करें- हे अनंत भगवान मैं आपकी शरण में हूं,मुझे आशीर्वाद दे मुझे रोग बाधा को दूर रखें | कथा सुनने के बाद आरती करें और क्षमा प्रार्थना करें- जाने अनजाने में जो गलती हो गई हो तो क्षमा करें |महिलाएं अनंत सूत्र को बाए हाथ में बांधती हैं जबकि पुरुष दाएं हाथ में बांधते हैं | अनंत सूत्र को बांधते समय आप भगवान विष्णु का नाम लेते रहे तथा इस दिन की मान्यता है कि आप यथासंभव जितना हो सके उतना ही आप दान करें इस व्रत को करने से सुख संपत्ति तथा समृद्धि मिलती है |
इस व्रत में नमक का सेवन नहीं कर सकते हैं| फलाहार या मीठा भोजन ही खाए और अगले दिन ही पूजा करके व्रत खोले और नमक का सेवन करे|अनंत चतुर्दशी के दिन किसी की बुराई ना करें निंदा ना करें |एक शेर आटा का मालपुआ या पूरी बना कर चढाये और प्रसाद के रूप में एक बार ही भोजन करे| पंडित को भी दान करे|
विस्नुसह्श्त्रनाम का पाठ करे |
14 गाँठ वाली अनंत ही खरीदें और 14 दिन तक जरूर बांधे रखें|
अनंत सूत्र बांधने के बाद तामसिक भोजन नहीं खाना चाहिए| 14 दिन तक यह नियम अपनाएं 14 दिन बांधने के बाद इसे किसी सुरक्षित स्थान पर बांध दें और अगले साल नए धागे बांधे और इसे पुराने धागे को जल में प्रवाहित कर दें|
अनंत चतुर्दशी के दिन शेषनाग की पूजा विशेष रूप से की जानी चाहिए शुभ माना जाता है तुलसी पूजन भी करे शाम के समय जो गौरी-गणेश बनाया है और जो अनंत भगवान बनाए हैं उसे विसर्जन करें |