एकादशी व्रत  विधि 

एकादशी के 1 दिन पहले ही घर की साफ सफाई के साथ अपने बेड की भी साफ सफाई कर ले| साफ सफाई करने के बाद स्नान आदि  कर ले| उसके बाद अपनी पूजा के स्थान को भी साफ कर ले |और बाल धोकर स्नान करें क्योंकि एकादशी के दिन बाल नहीं धोना चाहिए धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन साबुन शैंपू का इस्तेमाल भी नहीं करना चाहिए| एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है| भगवान विष्णु  के सम्मुख यह एकादशी व्रत किया जाता है | एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कार्यों से निपट कर स्नान कर पीले रंग का स्वच्छ वस्त्र पहने| एकादसी के दिन पीले वस्त्र शुभ माने गए हैं| एकादशी व्रत के दिन पूर्व दिशा में एक चौकी रखें पीले रंग का आसन बिछाएं इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु की  मूर्ति या फोटो रखें विष्णु जी  को अब स्नान करवाएं,चंदन का तिलक लगाएं तिल, फूल माला ,फल, वस्त्र और नैवेद्य का भोग लगाएं पीला फूल अवश्य चढ़ाएं ध्यान रहे कि विष्णु जी के व्रत में कोई भी व्रत में तुलसीदल जरूर चढ़ाएं औ तुलसी जी का पत्ता चावल का दान करें और पूजन के बाद एकादशी व्रत की कथा सुने इस पूजा के संपन्न होने के बाद क्षमा याचना जरूर करें पहली एकादशी व्रत का संकल्प लें पंडित के द्वारा और उन्हें इच्छा अनुसार दान दक्षिणा  भेंट करें विष्णु सहस्त्रनामा, विष्णु चालीसा ,विष्णु मंत्र ,शिव मंत्र और विष्णु स्तुति का पाठ करना चाहिए| यह करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है| 

एकादशी के दिन अगर संभव हो तो स्वच्छ नदी में स्नान करें नहीं तो नहाने के पानी में गंगाजल डालकर ही स्नान करें

एकादशी के दिन मां तुलसी का पूजन अवश्य करें| परंतु बिना उन्हें स्पर्श किए ही जल अर्पित करें क्योंकि एकादशी का व्रत विष्णु भगवान के लिए माता तुलसी भी रखती हैं तो जल चढ़ाने से उनका व्रत भंग हो जाता है इसलिए दूर से ही पूजन करें और दीपक प्रज्वलित करें एकादशी का पहला नियम यह है कि एकादशी के एक दिन पहले तामसिक भोजन का सेवन बिल्कुल ना करें लहसुन प्याज का सेवन बिल्कुल ना करें| एकादशी के 1 दिन पहले आप सूर्यास्त के पहले ही भोजन ग्रहण करें यह दशमी तिथि का दिन होता है उस दिन चावल ग्रहण ना करें ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करेंभगवान विष्णु को पंचामृत से अभिषेक करवाएं पारण के दिन,मतलब व्रत खोलने के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए गेहूं के आटे की रोटी अरहर की दाल या चने की दाल, लौकी की सब्जी से पारण करना है यानी कि व्रत खोलना है द्वादशी के दिन|इस दिन आप 2 बार खा सकती हैं सुबह और रात्रि में भोजन ग्रहण कर सकते हैं

एकादशी का व्रत बालक भी कर सकते हैं, लड़कियां भी कर  सकती हैं, और सबसे ज्यादा पति पत्नी एक साथ करें तो ज्यादा फलदाई होता है | अकेले पत्नी भी एकादशी का व्रत कर सकती है| उनके पति मना ना करें तो | एकादशी का व्रत  वृद्ध लोग भी रख सकते हैं इस व्रत को आप शुक्ल पक्ष से भी धारण कर सकते हैं और कृष्ण पक्ष से भी धारण कर सकते हैं एकादशी व्रत में किसी की निंदा ना करें, किसी को परेशान ना करें |

एकादशी का व्रत इंद्रियों को नियंत्रित करने के लिए तथा सुख समृद्धि के लिए भी किया जाता है  एकादशी का व्रत करने के लिए संकल्प लिया जाता है| या तो आप भगवान के सम्मुख ले, या तो आप पंडित के सम्मुख ले, कि आप कितने संख्या में करेंगे |और फलाहार करेंगे या निर्जला करेंगे यह सब चीज भगवान के सम्मुख संकल्प लेते हुए बोलना होता है एकादशी का व्रत कुछ लोग निर्जला रखते हैं और कुछ लोग फलाहार , इस व्रत को उत्पन्ना एकादशी को शुरू करना चाहिए आप साल के किसी भी एकादशी को एकादशी व्रत शुरू कर सकते हैं चतुर्मास को छोड़कर क्योंकि चातुर्मास में भगवान विष्णु निद्रा में विलीन होते हैं  एकादशी व्रत अगर आप गिनती में करना चाहते हैं तो 24 ,108, या 36 या 1 साल आप जितना चाहे रख सकते हैं|

एकादशी व्रत का उद्यापन तब करना चाहिए जब आप व्रत रखने में असमर्थ हो |एकादशी व्रत में अगर आप फलाहार व्रत करते हैं तो कई बार मुंह को जूठा ना करें क्योंकि एकादशी व्रत बहुत ही शुद्ध व्रत है कठिन व्रत है अगर आप बुजुर्ग हैं तो व्रत रखना है तो आपको जितनी बार आवश्यकता हो जल ले सकते हैं अब पूरी तरह से स्वस्थ हो तो निर्जला व्रत रखें |

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