करवा चौथ पूजा व्रत विधि

करवा चौथ का व्रत विशेष तौर पर पति -पत्नी के लिए होता है|हमारे हिन्दू धर्म में यह व्रत सुहागिन महिलओं के लिए किसी वरदान से कम नही है|क्योकि इस दिन करवा माता ने अपने पति की प्राणों की रक्षा की थी |मृत पति के प्राण यमराज से छीन लाई थी |क्योकि करवा एक पतिव्रता नारी थी| इसलिए भगवान शिव ,माता पार्वती ,गणेशजीऔर समस्त शिव परिवार करवा की सहायता हेतु इस धरती पर उतर आए थे |और जब करवा अपने पति की मृत शरीर के पास बैठ कर बहुत चीख -चीख कर विलाप कर रही थी |तब पूरा शिव परिवार अपना रूप साधारण मनुष्य रूप में बदलकर| विलाप करती हुई करवा से बोंले की आपका पति जीवित हो सकते है |यदि आप उपवास रह कर |मिटटी के पात्र में नदी से जल लेकर और साथ में हरी ढुभ लेकर अपने पति के पास सूर्य डूबने से पहले आ जाए |किन्तु एक शर्त है की मिट्टी का पात्र आपको स्वयं अपने हाथों से बनाना होगा |करवा जब नदी से जल लेने जाती है मिट्टी गुथने के लिए तो इन्द्रदेव नदी को सुखा देते है तब करवा के आँखों से आंसू गिरने लगते है तब माता पार्वती बोलती है इन आंसुओ को अपनी सक्ती बनाओ व्यर्थ ना बहाओ |तब करवा अपने आंसुओ से मिट्टी को गिला करती है और मिट्टी का पात्र अपने हांथो से स्वयं बनाती है |और उस पात्र में अपनी आंसुओ को ही जल के रूप में भर्ती है| और समय से अपने पति के पास वापस आ जाती है किन्तु हरी दुभ के जगह उसे सुखी दुभ मिलती है |तब करवा शिव पार्वती का नाम लेकर यह संकल्प लेती है की यदि मै पतिव्रता नारी हू मेरा प्रयास सार्थक है और यदि मैंने सच्चे मन से शिव पार्वती की पूजा की है तो ये सुखी दुभ हरी हो जाए, तब दुभ हरी हो जाती है| तब माता पार्वती करवा से बोलती है सोलह श्रींगार करके यह दुभ अपने पति के माथे पर रखकर, जल छिरको तुम्हारे पति के प्राण वापस आ जाएँगे |करवा बिलकुल माता के कहें अनुसार करती है, और उसका पति जीवित हो उठता है| फिर सभी देव परिवार अपने वास्तविक रूप में आ जाते है और करवा को यह आशीर्वाद दिया कि यह व्रत तुम्हारे नाम से जाना जाएगा और आज के दिन नारी शक्ति को भी याद किया जाएगा |केवल परुष ही नारी की रक्षा नही करते ,बल्कि नारी भी परुष की रक्षा करती है |आज के दिन अर्थात कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को जो सुहागिन महिलाएं इस व्रत को धारण करेगीं ,उपवास रखेगी, उनका पति दीर्घायु होगा |तब से सुहागिन महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य की कामना हेतु यह व्रत रखती है| और पुरे मन से ,पूरी श्रद्धा से और रीती -रिवाज के साथ करती है ,निभाती है |हिन्दू समाज में इस व्रत के दौरान सास -बहू और पति के रिश्तों में काफी नजदीकियां और मिठास आ जाती है|क्योंकिकी मान्यता है की >

करवा चौथ 1 दिन पहले 12:00 बजे से पहले  सरगी खाने का नियम है |सरगी सास अपनी बहू को देती है, सरगी के रूप में दूध सेवई आदि खिला देती है| फिर सिंगार की वस्तुएं साड़ी, जेवर,मेहँदी ,सुहाग की चुरी,महावर ,पायल -बिछया आदि करवा चौथ पर देती हैं| इसमें अपनी अपनी परंपरा के अनुसार फल, मिठाई, मट्ठी, दूध,आदि दे सकती हैं |सरगी खाने के बाद ना पानी पी सकते हैं और ना ही कुछ खा सकते हैं |इसलिए सरगी खाते समय अच्छे से खा ले |इसके बाद स्नान करने के बाद अपने घर के मंदिर की साफ सफाई करते हुए ज्योति जलाएं,| निर्जला व्रत का संकल्प लें |, पूजा करने से पहले सुहागिन महिलाए सोलह श्रृगांर जरुर करे |फिर पूजा करे |इस व्रत में चांद का विशेष महत्व है| चांद देखने के बाद ही व्रत खोलने का विधान है| चांद दर्शन करने के बाद अर्घ्य  दे| फिर चलनी से जिस पर जलता हुआ दीपक हो अपने पति का चेहरा देखे उनका आशिर्वाद ले फिर पति के हाँथो से पानी पीकर व्रत तोड़े | उसके साथ ही गणेश जी और चतुर्थी माता को भी अर्घ देना चाहिए |दोपहर को करवा लाकर, भोग लगाने के लिए मिठाई ,हलवा ,पूरी आदि बनाकर करवा चौथ की कथा सुनी जाती है| इस बात का ध्यान रखें कि आप जैसे पहला व्रत शुरू की वैसे ही अंत तक करते रहना होगा |  कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है|  इस दिन सुहागिन महिलाएं  यह व्रत रखती हैं |अपने पति के लंबी उम्र के लिए |रात्रि को करवा माता की पूजा की जाती है| और  चंद्रमा की भी पूजा की जाती है |जमीन पर पहले गोबर से सात गिरे बनाएं| उसके बाद अयपन लगाएं| सातों गिरे पर जो दो करवा होता है| एक में जल भरिए और दुसरे करवा में शिक या कुश डालें,| और आपके यहां जो  भरा जाता  हो वह भरिए| बहुत सारे जगहों पर चूड़ा या दूध भरा जाता है ,कहीं पर चीनी का मिठाई भरा जाता है ,कहीं पर मावा भरा जाता है,| खील बताशे या साबुत अनाज भरे,जाते है | एक  कलश  तैयार कर लीजिए | कलश में जल भरे हल्दी और चावल के आटे का अयपन बनाएं ,उसे करवे में लगाएं, | करवे में एक सिक्का  डालें, पान सुपारी डालें ,कलावा  बांधे| एक दिया जला ले कलश के ऊपर | सबसे पहले हाथ में जल,अक्षत फूल लेकर आप संकल्प ले |- आप अपना नाम ,गोत्र और तिथि का नाम बोलकर कहें की मै करवा चौथ का व्रत करने जा रही हूं |अपने पति के दीर्घायु के लिए यह व्रत मेरा निर्विघ्न  संपन्न हो जाए | हाथ में पुष्प लेकर आवाहन करेंऔर कहें हे गौरी माता हे गणपति जी हे भोलेनाथ मै आपकी सच्चे मन से पूजा करने जा रही हूं आप मेरी पूजा स्वीकार कीजिए |मेरे पूजा में हुए भूल को क्षमा कीजिए फोटो के ऊपर जल छिड़क कर स्नान करवाएं करवा ,गौरी गणेश , भोलेनाथ जी को रोली,सिंदूर,अक्षत,धुप, दीप समर्पित करे| जो श्रृगांर का सामान है उसे गौरी गणेश,करवा माता ,भोलेनाथ-माता पार्वती को स्पर्श करा कर नीचे रखें |और पूजा होने के बाद करवा माता की आरती भोलेनाथ की आरती गणपति जी की आरती करें| करवा माता की कथा सुने , सुहाग की सामग्री चढ़ाएं और अगले  दिन अपने सास को दें या किसी सुहागन स्त्री को |फिर चंद्रमा को अर्घ्य दे ,चलनी पर एक दीपक जलाकर चंद्रमा को देखें फिर अपने पति को चलनी के माध्यम से देखें| और  करवा से अपने पति के हाँथो से पानी पिए अपने पति के पैर छूकर आशीर्वाद ले और व्रत खोलें | इस व्रत में खास तौर पर चावल से बने पकवान का सेवन करना चाहिए 

पूजा सामग्री

1 करवा2 pis

2 करवा माता की फोटो और गौरी गणेश का फोटो

3  फल  कच्चा दूध, फूल

 4  श्रृंगार का सामान

5 पूजा की थाली ,चलनी

6 कुश 

8धूपबत्ती , शुद्ध घी ,दही, मिठाई गंगाजल 

9 महावर ,चुनरी , चूड़ी, बिछिया ,मेहंदी 

10  कथा की पुस्तक रोली सिंदूर हवन सामग्री

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