गणेश चतुर्थी व्रत विधि-बहुला चौथ विधि के नियम

इस पूजा को सुहागन स्त्री या करती हैं| अपने पति के लंबी उम्र के लिए| जिस दिन आपको व्रत करना है उसके 1 दिन पहले तामसिक भोजन लहसुन प्याज वाला भोजन ना खाएं| पूरी शुद्धता से करें | अगर आपने गलती से खा भी लिया तो अगले दिन बाल धोकर नहा कर पूजा कर सकते हैं| कोई दिक्कत नहीं है| इस व्रत में भी सरगी  ली जाती है  2:00  के से 3:00 तक के बीच में आप सरगी के रूप में दूध,पानी,नारियल पानी या मिठाई कुछ भी खा सकते हैं| इसके बाद आपको कुछ खाना पीना नहीं है जब तक चंद्रमा की पूजा ना हो जाए तब तक निर्जला रहना है

स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपड़े पहने ध्यान रहे काले वस्त्र ना पहने | अपने पूजा की तैयारी करें और उस दिन सिंदूरदानि  से जिसे सिन्होरा बोलते हैं, उससे सिंदूर जरूर लगाएं| सोलह सिंगार करे जैसे तीज में करते हैं| तैयार होने के बाद आपको गणेश जी की पूजा करनी है| इस पूजा को खुले आसमान के नीचे करना शुभ माना जाता है तो आपके यहां जहां भी जगह हो पहले उस स्थान को साफ कर ले |अच्छे से चौकी लगा ले और गाय के गोबर से गौरी और सुपारी से गणेश जी का निर्माण करें| और उन्हें स्थापित करें|

पूरे परिवार की फोटो भी रख लीजिए और पूजा की सामग्री एकत्रित कर लीजिए धूप,दीप, दूर्वा,सिंदूर,घी ,जौ का सत्तू ,गुड़, मिष्ठान ,पान सुपारी,तिल के लड्डू  दो तीन तरह के मौसमी फल मंगा ले या दूध से बनी मिठाई का भी भोग लगा सकते हैं| विधिवत पूजा करने के बाद गणेश जी का चालीसा पढ़ें| गणेश मंत्र का जाप करें पूजा संपन्न होने के बाद आरती करें और क्षमा याचना करें| चांदी का लोटा हो या फिर स्टील के लोटे में  कच्चा दूध और गंगाजल ले ले और उससे चंद्रमा को अर्द्ध दिया जाता है,  और थोड़ा जल दूध लोटे में बचा ले और उसे अपने पति या बेटे से जल गिरवाईये अपने बाल  का लट लेकर|

  जो पा, सुपारी,तिल,गुड़ गणेश जी को चढ़ाया है उसे लेकर ही  चंद्रमा को अरग दे| और उसे मुख के पास सटाईये जल गिरवाईये  5 बार और घूमते हुए यह करें| उसके बाद गणेश जी को और चंद्रमा को प्रणाम करें| गणेश स्त्रोत का पाठ करें और प्रसाद उठा ले| जो आपने भोग लगाया है और उसे फलाहार के रूप में ग्रहण करें लेकिन ध्यान रखें कि अनाज ग्रहण नहीं करना है| अब जलपान करें अपने घर में बड़ों का आशीर्वाद ले| 

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