गोवर्धन पूजा को भाई दूज भी कहा जाता है| यह पर्व भाई-बहन का पर्व होता है| इस पर्व को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है| गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है| इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है|
यह व्रत बहन अपने भाई के लिए करती है| इस दिन पूजा करके भाई को चना, मिठाई और नारियल खिलाया जाता है| उसके बाद घर में जो भोजन बना हो उसे ग्रहण करें|
गोवर्धन पूजा की सामग्री- दूब, रोली, मौली अक्षत , पुष्प, चंदन कपूर, धूपबत्ती, नारियल, मिठाई, चना ,माचिस, दीपक गंगाजल
गोवर्धन पूजा के दिन स्नान करके सब कपड़े पहने और अगर आप सामूहिक पूजा नहीं कर पाते हैं तो घर पर भगवान कृष्ण की पूजा करें| सामूहिक पूजा में स्थान को साफ कर दे, गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है. उनका घर बनाया जाता है, रसोई घर बनाया जाता है, और इन सब की पूजन की जाती है| गंगाजल से शुद्धिकरण करें| सर्वप्रथम गणपति जी की पूजा करें उनका नाम लेकर पूजन करें उसके बाद रोल, अक्ष, कलावा,अर्पण करें| ओम कृष्णाय नमः पूजन करें| प्रसाद चढ़ाएं, धूप दीप जलाएं, चना चढाये, और उस चना मिठाई को अपने भाई को खिलाये |
उस दिन भोजन मे खीर और पिठा,चना दाल की पूरी बनाई जाती है और पूजा करके आने के बाद यही खाया जाता है|
जब कृष्ण ने ब्रिज्वासियो को मुसला धर बारिश से बचाया था तो गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी ऊँगली पर उठाकर रखा और गोपी-गोपिकाए उसकी छाया में सुख पूर्वक रहे| तो उसी समय से गोवर्धन पूजा अन्नकूट के नाम से त्यौहार के रूप म मनाया जाने लगा|