सप्तमी तिथि को जन्माष्टमी के 1 दिन पहले तामसिक भोजन ग्रहण ना करें| ब्रह्मचर्य नियम का पालन करें| सूर्यास्त के पहले खाना खा ले नहीं तो सूर्यास्त के बाद हल्का भोजन ही करें| जन्माष्टमी के दिन आप सुबह मे स्नानादि कर के पीले वस्त्र धारण करें| उसके बाद पूजन करे| धूप,दीप,नैवेद्य इत्यादि विधि-विधान से सच्चे मन से पूजन करें| अगर आप निर्जला ना रह पाए आपकी सेहत खराब रहती हो तो जलपान कर सकते हैं और पुणे 12:00 बजे रात में पूजन कर सकते हैं और प्रसाद ग्रहण प्रसाद ग्रहण करें तथा सभी में वितरित करें|
सर्वप्रथम सूर्य भगवान को जल्दी जल में गंगा जल मिलाकर के रोली हल्दी अक्षत लालपुर बेलापुर ॐ घृणि सूर्याय नमः बोलते हुए जल अर्पित करें|
जन्माष्टमी के दिन स्नानादि करके एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाए| आसन के एक दीपक प्रज्वलित करें उसके बाद एक प्लेट में स्वास्तिक बनाएं स्वास्तिक बनाने के बाद अक्षत डालें और कान्हा जी को प्लेट में रखे और सबसे पहले जल से स्नान करवाएं| उसके बाद कच्चे दूध से स्नान करवाएं, उसके बाद दही से स्नान करवाएं फिर जल से स्नान करवाएं ,फिर शहद से, शुद्ध घी से स्नान करवाएं| शक्कर से भी स्नान करवाएं| अंगूठा स्पर्श ना हो मूर्ति में यह ध्यान रखें और सभी देवी देवताओं का ध्यान करें और ओम भगवते वासुदेवाय नमः बोलते हुए स्नान करवाएं या पंचामृत बनाकर के उस पंचामृत से भी स्नान करवा सकते हैं| अगर आपके पास शंख है तो शंख की धारा से स्नान करवा सकते हैं नहीं तो तांबा पीतल के लोटे से स्नान कराएं| उसके बाद फिर जल से स्नान करवाएं इसके बाद शुद्ध कपड़े से या रुई से उनकी मूर्ति को पोच्छ ले| ठाकुर जी को नए कपड़े पहनाए चाहे तो आप खुद से भी बनाकर कर भी पहना सकते हैं| आपके पास जितनी सामग्री हो उतने सामग्री से ही कन्हा जी को सजाए और सच्चे मन से पूजा करें| आपकी पूजा स्वीकार की जाएगी बस आपका मन पवित्र और सच्चा होना चाहिए| अगर आपके पास झूला है तो ठीक है नहीं तो कोई बात नहीं| उस झूले पर स्वास्तिक बनाये फूलों से सजाये और भगवान को विराजमान करें| अब झूला झूलाकर भजन गाते हुए, बांसुरी में मोर पंख लगाते हुए उनके पास रखें छोटे-छोटे खिलौने रखें ताकि उनका जन्मदिन है तो अच्छा लगे सजाने में फिर उस खिलौने को बच्चों को दान कर दे|
अब धूप ,दीप,रोली ,मोली ,चंदन अक्षत चढ़ाएं पुष्प चढ़ाएं | भोग में फल,माखन मिश्री ,पंजीरी पंचमेवा तुलसी पत्ता जरूर चढ़ाएं| रात को 12:00 बजे पूजन करें और कान्हा जी का भजन आरती मंत्र जाप आदि करें शंख बजाए|
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण जन्म लिए थे| भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव के रूप में हर साल मनाया जाता है| अगर आप फलाहार व्रत रखते हैं तो भी ठीक है निर्जल व्रत रखते हैं तो भी ठीक है इस व्रत को करने से सुख समृद्धि प्राप्त होता है|
सच्चे मन से सच्ची श्रद्धा भाव से भगवान कृष्ण का पूजन करें और उस दिन कीर्ति का निरादर ना करें अपमान ना करें झूठ ना बोले|