नवरात्रि पूजा विधि

एक साल में दो बार नवरात्री होती है| चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र यह त्यौहार हिन्दू धर्म में बहुत ही भक्तिपूर्वक मनाई जाती है |यह शारदीय नवरात्र कुवार मास के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से मनाई जाती है |शारदीय नवरात्र को बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण बताया गया है, इस व्रत को विधिवत जो व्यक्ति करता है उसके घर में कभी धन -धान्य की कमी नही होती है |मांगलिक कार्यों में कोई बाधा नही होती है ,खुशियां अपनेआप घर चलकर आती है |यह पर्व नौ दिनों की होती है .इसलिए इसे नवरात्री कहतें है| इन नौ दिनों में दुर्गा चालीसा ,दुर्गा शप्तशती पाठ ,मंत्रजाप आरती किया जाता है |ये सब करने के पहले ->

आप अपने घर की पहले अच्छी तरह से साफ -सफाई नवरात्रि आने से पहले कर ले | और जब नवरात्रि की शुरुआत होती है तो घर में तामसिक भोजन लहसुन प्याज वाला भोजन बिल्कुल ना बनाएं| और सच्चे मन से माता रानी की पूजन करें ताकि आपके घर में सुख समृद्धि आती रहे ,सब लोग सुखी संपन्न रहें ,और सुखी संपन्न जीवन प्राप्त हो सके|

 अब आप अपने घर का मंदिर जो है या जिस स्थान पर आप पूजा करते हो उसकी सफाई अच्छे से कर ले |और पूजा की सारी सामग्री पहले ही खरीद करके रख ले धूपबत्ती, रोली, मौली, सिंदूर, घी , रुई बत्ती, प्रसाद, शकील, कपूर, आदि| जितने भी पूजा की सामग्री हो और  फल तो आप रोज ही खरीदेंगे|

अगर आप पंडित से पूजा करवाते हैं तो वह तो आपको सब बताएंगे, सब अपने विधि अनुसार करवाएंगे | अगर आप घर पर खुद से पूजा करना चाहते हैं| तो जानिए यह 9 दिन के नियम:-

1. नवरात्रि के इन दिनों में किसी भी बच्ची को मारे  ना उससे चिल्लाए ना उसको डांटे ना| क्योंकि नवरात्रि को कन्या पूजन होता है इसलिए किसी बच्ची को दुखी ना करें| और इस बात का ध्यान रखें कि घर में कलह क्लेश ना करें, किसी की निंदा ना करें ,कम से कम नवरात्रि में इन बातों का ध्यान रखें |और जो व्रतधारी है जो नौ दिनों का व्रत उपवास रखें है वो दिन में सोने से बचें ,नींद से बचने के लिए मंत्र जपे भजन गाए जो भी करें भगवान का ध्यान करें पर सोए ना|

2.–  नवरात्रि के 9 दिन में दोनों समय घी ,रुइबती ले , कपूर ले और थोड़ा सा लोहवान ले पहले पूजा की आरती कर ले उसके बाद लोहवान डालकर जलाएं और पूरे घर में घूमआए| और माता से यह कामना करे की जो भी आपको दिक्कत हो ,आपके बच्चे आपके बात नहीं मानते हो ,या कुछ घर की समस्या हो, वह सब माता रानी दूर करेगीं |बस आप सच्चे मन से पूजा करेंऔर दोनों समय आरती करे .

3.– आपको सबसे पहले सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना है ,और घर की साफ सफाई करें उसके बाद बाल धोकर नाख़ून काटकर स्नानादि करके स्वच्छ कपड़े पहने और हां काले और नीले रंग के वस्त्र का उपयोग ना करें| किसी भी पूजा में लाल रंग का वस्त्र धारण करें पीले रंग का वस्त्र धारण करें बस कपड़े शुद्ध होने चाहिएजा|उसके बाद एक लोटा जल सूर्य भगवान को जल दें

 

4 नवरात्रि के पहले दिन एक चौकी लगा ले अपने से ऊंचा स्थान पर माता की मूरत रखें या फोटो रखें फोटो के नीचें चावल की अष्टकमलदल बनाया जाता है या चावल की ढ़ेरी थोरी सि लगाई जाती है तब मूर्ति या फोटो को पंचामृत तथा जल से अभिषेक कराने के बाद स्थापना की जाती है . माँतारानी की मूर्ति रखने के पहले कलश की पूजा ,स्थापना की जाती है,कलश ताम्बें के पात्र या मिट्टी का पात्र में आप रख सकते है कलश मूर्ति की दाई ओर होनी चाहिए कलश के नीचें जौ जमाया जाता है ,जौ जमानें का काम 5 दिन पहले किया जाता है जौ ना हो तो चावल भी रखा जा सकता है| तब उसके उपर कलश की स्थापना करें ,कलश में गंगाजल , 2 लौगं ,इलायची , अक्षत , पान का पत्ता ,एक सुपाड़ी ,एक सिक्का ,रोली ,,सिंदूर ,एक हल्दी का गांठ ,आम का पत्ता 9 या 11 डाल कर कलश तैयार करें |कलश पर मौली धागा बांधें , स्वास्तिक बनाएं फिर कलश के उपर एक ढक्कन में थोड़ा सा चावल ,एक नारियल कलावा बांधकर रखें | फिर पान के पत्ते पर एक सुपाड़ी में कलावा बांधकर गौरी -गणेश के रूप में मूर्ति के बाएँ तरफ रखें | फिर नौ ग्रह बनाएं छोटी -छोटी चावलों की ढ़ेरी बनाकर तैयार करें |अब आप दाहिने हाँथ में जल ,पुष्प ,अक्षत लेकर संकल्प ले :-अपना नाम ,गोत्र ,दिन ,समय,अपने पिता या पति का नाम लें,स्थाई निवास का नाम ले,नौ दिन के पूजा,मंत्र जाप कैसे करना है बोलकर मातारानी के सामने छोर दे |अब अखंड दीपक जलाए,फिर रोली ,सिंदूर ,पुष्प ,धुप ,दीप अक्षत नावेद,जनेऊ,पंचाम्रत फल इत्यादि से मातारानी,गौरी-गणेश ,नौ ग्रहों की पूजा -पाठ करें मंत्रजाप करें ,चालीसा या शप्तशती का पाठ करें,आरती करें ,क्षमाप्राथना फिर प्रसाद वितरण करें और जो भक्त 9 दिन का उपवास रखें है वो दसवें दिन व्रत खोलेगें ,व्रतधारी दो समय ही फलाहार कर सकते है|सप्तमी तिथि को सुहागन महिलाएं सुहाग की साड़ी सामग्री माता को चढाए

और दशमी तिथि को जब माता रानी की विदाई होती है तो सिंगार का सामान उठाएं और खुद इस्तेमाल कीजिए किसी को दीजिए मत

5:-  अपनी परंपरा के अनुसार अष्टमी या नवमी को 9 कुंवारी कन्या 5 से 9 साल की उम्र हो जिनकी पूजा करें, माता का अवाहन करें उनका पैर धोएं महावर लगाएं माथे पर कुमकुम लगाएं उनका श्रृंगार करें उन्हें चुनरी ओढ़ाए| और जो पकवान आपने बनाया है  हलवा पूरी  चना उसे प्यार से परोसे और खिलाएं| खाने के बाद उनकी थाली हटाए |और अपने इच्छा अनुसार उन्हें दान दें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद ले| और अपने परिवार वालों को प्रसाद वितरण करें और खुद भी खाएं| आज दसवीं के दिन जौ  चावल इत्यादि जो कुछ भी है अपने पुरोहित को दान करें फल को भी दान दे सकतें है| हाथ में अक्षत फूल लेकर जैसे आपने आवाहन किया था वैसे उनकी विदाई करेंगे और बोलेंगे गणपति जी और माता लक्ष्मी को छोड़ कर के   कलश में उपस्थित  जितने भी देवी देवता हैं मैं जितने भी देवी देवता को बुलाया था  मैं आज चाहती हूं कि वह  विदा ले अपने  स्थान को  जाएं और जब मैं आप का आवाहन करूं तो आप आए और मेरी पूजा स्वीकार करें और मेरी  द्वारा हुई गलती को क्षमा करें |और अक्षत  फूल कलश पर छोड़े अगर आप मिट्टी की मूर्ति लाए हो तो विसर्जन करना है तो ही अक्षत फूल मूर्ति पर भी छोड़ेंगे और कलश को हिला दे|और आज या कल आप दिन देख ले मंगलवार के दिन माता की विदाई नहीं की जाती है तो कलश उठाकर विसर्जन कर दे नारियल का विसर्जन कर दे चावल को पक्षियों को खिला दे और कलश में जो सामग्री आपने डाली है लक्ष्मी स्वरूप मानकर उन्हें अपने पास रख लेंगे पीले या लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें कलश का पानी अपने घर में  छिट दे  गौरी गणेश को कभी विसर्जित नहीं किया जाता है तुलसी के गमले के अलावा कहीं पवित्र जगह पर रखें कुछ दिन अपने घर में रखे  माता की फोटो अपने मंदिर में वापिस रखें |कलश हटाने के बाद ही विसर्जन  नियम करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें व्रत खोलें और जो आपने जौ जमाया था उन्हें भी जल  मैं विसर्जित करें 

6 नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री  का दिन होता है इनका पूजन और मां शैलपुत्री से संबंधित चंद्रमा होता है और चंद्रमा का रंग स्लेटी कलर होता है इस दिन लाल गुड़हल का फूल माता को अर्पित करना चाहिए तथा जी का भोग लगाना चाहिए भक्त लाल कपड़े पहन कर पूजा करें इस  पूजा  करने से चंद्रमा से  जुड़े परेशानी खत्म होती है और या देवी सर्वभूतेषु  शैलपुत्री रूपेण संस्थिता नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः का जाप करें इसी मंत्र को नमो दिन नमो माता का नाम लेते हुए मंत्र जाप करें तथा पूजन करें

दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है इनसे संबंधित ग्रह मंगल है मंगल ग्रह नारंगी रंग शुभ माना जाता है आज के दिन शक्कर का भोग लगाना चाहिए सेवंती का पुष्प चढ़ाना चाहिए या गुलदाउदी का फूल मां को अर्पित करना चाहिए सफेद वस्त्र पहन कर पूजा करना चाहिए देवी के इस स्वरूप के पूजा से मंगल ग्रह दोष खत्म होता है 

8   मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा माता की पूजा की जाती है इन से संबंधित ग्रह शुक्र ग्रह है शुक्र ग्रह का  शुभ रंग सफेद है इस दिन माता को दूध या दूध से बने पकवान का भोग लगाएं या मिठाई का भोग लगाएं और कमल का पुष्प अर्पित करें1 दिन केसरिया रंग के वस्त्र पहनकर पूजन करने से शुक्र ग्रह दोष खत्म होता है शंखपुष्पी भी अर्पित कर सकते हैं 

चतुर्थ स्वरूप माता कुष्मांडा का पूजन किया जाएगा इनसे संबंधित सूर्य है इनका शुभ रंग लाल है इस दिन माता को मालपुए का भोग लगाएं चमेली का पुष्प अर्पित करना चाहिए इस दिन भूरे रंग का वस्त्र पहन कर पूजा करें इस  दिन का पूजा  करने से सूर्य दोष से मुक्ति मिलती है

10 माता का पांचवा स्वरूप स्कंद माता का पूजन किया जाएगा उनसे संबंधित ग्रह बुद्ध होता है इनका प्रिय रंग  गहरा नीला होता है माता को  केला का भोग लगाना चाहिए और पीले पुष्प अर्पण करना चाहिए सफेद या पीले रंग का वस्त्र पहनकर पूजन करें  इनका पूजन करने से बुध ग्रह का दोष समाप्त होता है

11 मां के छठे स्वरूप माता कात्यायनी का पूजन किया जाता है उनसे संबंधित  गुरु  ग्रा है शुभ रंग पीला होता है माता को शहद का भोग लगाइए और गेंदा का फूल अर्पित करें इस देशभक्त लाल हरा मैरून गुलाबी वस्त्र पहनकर माता रानी की पूजा अर्चना करें माता के पूजा करने से बृहस्पति ग्रह दोष समाप्त होता है

12 माता कालरात्रि का पूजन किया जाएगा उनसे संबंधित   ग्रह सनी हैशनि ग्रह का शुभ रंग हरा है इस दिन गुड़ का भोग लगाएं और कृष्ण कमल का फूल अर्पित करें बैंगनी स्लेटी कलर का कपड़े पहने यह देवी  शनिदेव को नियंत्रित करती है इस दिन पूजा करने से शनि ग्रह समाप्त होता है

13 मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी का पूजन किया जाता है इन से संबंधित ग्रह राहु मोर हरा   हल्का हरा कलर  का वस्त्र पहना जाता है गुलाबी या केसरिया रंग  का कपड़ेपहनने और मां तो मोगरा का फूल अर्पित करेंगे देवी राहु ग्रह को नियंत्रित करते हैं इनकी पूजा करने से रहो दोष समाप्त होता है इस दिन नारियल का भोग लगाएं

14 नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है इस दिन आप पूजा करते समय जामुनी या बैंगनी रंग के वस्त्र पहने चंपा या गुड़हल के फूल अर्पित करें यह देवी केतु ग्रह को नियंत्रित करते हैं उनकी पूजा करने से केतु ग्रह दोष समाप्त होता है हलवा पूरी चना की   खीर या तील से बनी चीजों का भोग लगाएं|

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